Urdu Shayari In Hindi : शायरी सिर्फ अल्फ़ाज़ नहीं, बल्कि एहसासों का आईना होती है। यह दिल की गहराइयों से निकले जज़्बातों का वो रंग है, जो कभी इश्क़ की मिठास लिए होता है, तो कभी दर्द की गहराई को बयां करता है। मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी में फ़लसफ़ा और गहराई है, जौन एलिया की शायरी में बग़ावत और तन्हाई का दर्द, जबकि अहमद फ़राज़ की शायरी मोहब्बत और एहसास से लबरेज़ होती है।
इस ब्लॉग में हम आपके लिए 110+ बेहतरीन उर्दू शायरी हिंदी में लेकर आए हैं, जो आपको मोहब्बत, जुदाई, दर्द और ज़िंदगी के हर पहलू को महसूस कराएगी। अगर आप शायरी के दीवाने हैं और अल्फ़ाज़ की खूबसूरती को महसूस करना चाहते हैं, तो ये कलेक्शन आपके दिल को छू जाएगा।
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Best Jaun Elia Shayari In Hindi
अब नहीं कोई बात ख़तरे की, अब सभी को सभी से ख़तरा है।
मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस, खुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं।
मेरा फ़ैसला है अब मैं न जीऊँगा ख़ुद से बिछड़ के मर गया हूँ।
हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगा, क्या खबर थी कि रग-ए-जाँ में उतर जाएगा।
हर किसी को बताना पड़ता है, आदमी हूँ कोई ख़ुदा तो नहीं।
हिज्र की रात का जला देता, काश तू मुझ को भुला देता।
जो गुजर गई वो तो बात गई, जो नहीं गई वो रात गई।
अब किस से कहें और कौन सुने, जो हाल तुम्हारे बाद हुआ।
कौन इस घर की देखभाल करे, रोज़ इक चीज़ टूट जाती है।
लफ़्ज़ ख़र्च कर रहा हूँ, लोग मेरी ज़ात पूछते हैं।

Mirza Galib Shayari (मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी)
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर न आए क्यूँ।
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल, जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे, होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे।
इश्क़ पर जोर नहीं, है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’, कि लगाए न लगे और बुझाए न बने।
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन, दिल के खुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख्याल अच्छा है।
न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता।
कहते हैं जीते हैं उम्मीद पे लोग, हमको जीने की भी उम्मीद नहीं।
आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक, कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक।
इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया, वरना हम भी आदमी थे काम के।
Ahmad Faraz Shayari (अहमद फ़राज़ की शायरी)
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं, सो उसके शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं।
रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ।
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें, जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें।
कौन होता है किसी का उम्र भर फिर भी ‘फ़राज़’, दोस्ती को छोड़ कर सब रिश्ते निभाए जाते हैं।
तू खु़दा है न मेरा इश्क़ फरिश्तों जैसा, दोनों इंसान हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें।
वो तिरा हिज्र तिरा ग़म तिरी यादें तिरा इश्क़, ज़िंदगी क्या तेरे ही दम से बनी जाती है।
मैं उस से कह नहीं सकता मगर ऐ दोस्त, मैं तुझ बिन जी नहीं सकता।
अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई, मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई।
हम से बिछड़े तो शायद वो ख़्वाबों में मिलें, जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें।
यूँ ही मौसम की अदा देख के याद आया है, किस कदर जल्दी बदल जाते हैं इंसान जानाँ।
10 Best Mirza Galib Shayari ( मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी)
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है,
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है।
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल,
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।
इश्क़ पर जोर नहीं, है ये वो आतिश ग़ालिब,
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने।
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ,
रोएंगे हम हजार बार, कोई हमें सताए क्यूँ।

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ,
रोएंगे हम हजार बार, कोई हमें सताए क्यूँ।
हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल के खुश रखने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है।
न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता,
डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता।
हुई मुद्दत कि ग़ालिब मर गया, पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता।
बस कि दुश्वार है हर काम का आसां होना,
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसां होना।
रोते फिरते हैं सारी-सारी रात हम ग़ालिब,
अब यही रह गया है दिल का अरमां होना।
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ,
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ।
जमाअत से निकलकर रो लिया ग़ालिब,
क्यूँ कि तन्हा होने का मज़ा न हुआ।
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है,
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है।
क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ,
रंग लाएगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन।
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
उम्र भर ग़ालिब ये भूल करता रहा,
धूल चेहरे पर थी और आईना साफ़ करता रहा।
तुझसे भी दिलफरेब हैं ग़म रोज़गार के,
ग़ालिब मैं कहाँ का वली था, इश्क़ बाज़ार के।
अब तो हैं तेरे ही कूचे में पड़े रहते हैं,
जो दिन गए तो समझो ज़िंदगी हारी है।
कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है,
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता।
मोहब्बत में नहीं फर्क जीने और मरने का,
उसी को देखकर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले।
जौन एलिया की बेहतरीन ग़ज़लें
अब नहीं कोई बात ख़तरे की,
अब सभी को सभी से ख़तरा है।
शहर का शहर हो चुका बर्बाद,
अब अमानत है और क्या तेरा।
कौन इस घर की देखभाल करे,
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है।
अब किसी से कोई गिला न रहा,
ज़िंदगी खुद ही रूठ जाती है।
हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगा,
क्या ख़बर थी कि रग-ए-जाँ में उतर जाएगा।
क्या पता था कि जो ख़्वाब देखा हमने,
वो हमारी ही नींदों को चर जाएगा।
अब भी कुछ लोग तिरे शहर में ज़िंदा हैं क्या,
अब भी बरसात में घर भीगते देखा है कभी।
तू जो कहता था कि हर दर्द मेरा होगा,
क्या वही दर्द तुझे अब भी सताता है कभी।
मुझे ख़बर थी मेरा नाम बदलेगा,
मिरी निशानी का अंजाम बदलेगा।
जो शख़्स मेरा हाथ पकड़ता था,
अब वो रास्ता भी हर शाम बदलेगा।
मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस,
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं।
जो कभी मेरा अपना था, अब पराया है,
इसका मुझ पे कोई असर, कोई सवाल भी नहीं।
वो जो मेरा था वो मेरा क्यों नहीं है,
इतना ही हुआ तो फिर हुआ क्यों नहीं है।
ज़िंदगी है कि तमाशा बन गई है,
अब किसी की यादों में सुकूँ क्यों नहीं है।
ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता,
एक ही शख़्स था जहाँ में क्या।
मैं जिसे छोड़ के चला आया,
वो मुझे छोड़ने से डरता था।
हिज्र की रात का जला देता,
काश तू मुझ को भुला देता।
तेरी नज़रों में कोई और सही,
मुझ को बस तेरा ग़म ही भा जाता।
लफ़्ज़ ख़र्च कर रहा हूँ,
लोग मेरी ज़ात पूछते हैं।
मैं जो बरसों से उजड़ बैठा हूँ,
अब भी हालात पूछते हैं।
Conclusion
शायरी सिर्फ शब्दों का खेल नहीं, बल्कि एहसासों की गहराई और जज़्बातों की परछाई होती है। ग़ालिब की शायरी हमें सोचने पर मजबूर करती है, जौन की शायरी बग़ावत और तन्हाई का अक्स दिखाती है, जबकि फ़राज़ की शायरी इश्क़ और एहसास से भरी होती है।
इस ब्लॉग में पेश की गई 110+ बेहतरीन उर्दू शायरी ने यकीनन आपके दिल के किसी कोने को छुआ होगा। अगर आप शायरी के दीवाने हैं, तो इन अल्फ़ाज़ों को महसूस कीजिए, जी भरकर पढ़िए और अपने चाहने वालों के साथ साझा कीजिए।
“शायरी सिर्फ लफ्ज़ नहीं, यह एक अहसास है जो दिल से निकलकर दिल तक पहुंचता है।”
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FAQs : Urdu Shayari In Hindi
1. उर्दू शायरी क्यों खास होती है?
उर्दू शायरी अपनी गहरी भावनाओं, खूबसूरत अल्फ़ाज़ और प्रभावशाली अंदाज़ के कारण खास होती है। यह मोहब्बत, दर्द, जुदाई और ज़िंदगी के हर पहलू को खूबसूरती से बयां करती है।
2. ग़ालिब, जौन और फ़राज़ की शायरी में क्या फर्क है?
ग़ालिब की शायरी में गहरी सोच और दर्शन होता है, जौन एलिया की शायरी बग़ावत और तन्हाई को दर्शाती है, जबकि अहमद फ़राज़ की शायरी में इश्क़ और रोमांस की मिठास होती है।